गणेश चतुर्थी 2023
गणेश चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान लम्बोदर की पूजा और आराधना के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है और यह साल में एक बार आता है। भगवान लम्बोदर की पूजा और भक्ति के लिए हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन सबसे अधिक महत्वपूर्ण रूप से मुंबई, पुणे, नागपुर, हैदराबाद, बेंगलुरु, और चेन्नई जैसे शहरों में मनाया जाता है।
विनायक चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त और पूजन विधि,गणेश चतुर्थी का मुख्य उद्देश्य भगवान लम्बोदर की पूजा करके उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करना होता है। लम्बोदर जी को सुखकारक, संकटनाशक, और ज्ञान के देवता के रूप में माना जाता है, जिनकी कृपा से सभी कार्य सम्पन्न होते हैं और समस्याओं का समाधान होता है। गणेश चतुर्थी के दिन, लोग लम्बोदर जी की मूर्तियाँ अपने घरों और समुदायों में स्थापित करते हैं और उन्हें विशेष पूजा के त्योहार के रूप में मनाते हैं। ध्वजारोहण (लम्बोदर की झंडी लगाना), मंत्रों का उच्चारण, आरती, गान, और दिव्य प्रसाद की विभिन्न प्रकार की रस्में शामिल होती हैं।
गणेश चतुर्थी क्यों मनाते है
गणेश चतुर्थी को भारत में मनाया जाता है क्योंकि यह हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है जिसमें भगवान गणपति की पूजा की जाती है। विनायक चतुर्थी का मुख्य उद्देश्य भगवान गणपति के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रकटीकरण करना है। यह त्योहार भगवान की महत्वपूर्ण कथाओं और उनके गुणों को मनाने का एक अवसर भी है।भगवान गजानन को हिन्दू धर्म में संकट के दूर होने वाले, विद्या और बुद्धि के प्रतीक, और समृद्धि के देवता के रूप में माना जाता है। इसलिए लोग उनकी पूजा करके उनके आशीर्वाद की प्राप्ति करने का उद्देश्य रखते हैं।
विनायक चतुर्थी को भद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त और सितंबर के बीच आता है। इस दिन भगवान विनायक की मूर्तियाँ घरों में, मंदिरों में या सार्वजनिक स्थलों में स्थापित की जाती हैं और उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
गणेश चतुर्थी 2023 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तिथि को मनाई जाती है। 19 सितंबर, यानी आज, गणेश चतुर्थी है.गणेश विसर्जन 28 सितंबर, बृहस्पतिवार को दस दिन बाद होगा। चतुर्थी तिथि कल 12 बजे 39 मिनट पर शुरू हुई और 19 सितंबर यानी आज दिन में 1 बजकर 43 मिनट पर समापन होगी .
गणेश चतुर्थी पूजन विधि
गणेश चतुर्थी का पूजन विधि निम्नलिखित कदमों पर आधारित हो सकता है. यहां गणेश चतुर्थी के पूजन की सामान्य विधि है:
सामग्री:
*गणेश मूर्ति
*दूर्वा घास की माला
*रोली, चावल, आबीर, गुलाल
*दीपक और कर्पूर
*फूल, मिठाई, और फल (प्रसाद)
*पूजा थाली
पूजन विधि:
मूर्ति स्थापना: शुभ मुहूर्त में गणेश मूर्ति को स्थापित करें, जैसे कि घर के मंदिर या पूजा स्थल पर।
लक्ष्मण रेखा का द्रव्य से अदभुतन करना: गणेश मूर्ति के चारणों के सामने लक्ष्मण रेखा बनाएं और उसे द्रव्य से अद्भुतन करें (इसे पानी में गुलाल और दूर्वा घास मिलाकर बना सकते हैं)।
लक्ष्मण रेखा की पूजा: लक्ष्मण रेखा को रोली, चावल, आबीर, और गुलाल से पूजें।
पूजा आरंभ: गणेश मूर्ति की पूजा ध्वजारोहण के साथ शुरू करें।
मंत्र जाप: गणेश मंत्र जैसे “ॐ गं गणपतये नमः” का जाप करें।
आरती: गणेश जी को आरती दें और दीपक की आरती जलाएं।
प्रसाद: फल, मिठाई, और फूल का प्रसाद गणेश जी को अर्पित करें और फिर इसे सभी प्रेषित लोगों के बीच बाँटें।
गणेश चतुर्थी के दिन क्या है निषेध
नैवेद्य में अन्न का उपयोग: भगवान गणेश के लिए पूजा में बनाए गए नैवेद्य (प्रसाद) में अन्न नहीं डालना चाहिए। इसके बजाय, मिठाई, फल, और मिल्क प्रोडक्ट्स का उपयोग करें।
पूजा में बारीक कपड़ों का उपयोग: पूजा के समय बड़े या फैंसी कपड़ों का उपयोग न करें। बजाय इसके, सादे और शुद्ध कपड़ों का उपयोग करें।
अध्यात्मिक गतिविधियों में सजगता: गणेश चतुर्थी के दिन, अध्यात्मिक गतिविधियों में निष्ठा और सजगता बनाए रखें।
अल्कोहल और अत्यधिक मांसाहारी आहार का परहेज: गणेश चतुर्थी के दिन अल्कोहल और अत्यधिक मांसाहारी आहार का निषेध होता है। यह एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक दिन होने के रूप में माना जाता है।
पूजा के नियमों का पालन: गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के पूजन के नियमों का सख्ती से पालन करें और शुद्ध भावना के साथ पूजा करें।
शांति और सद्गुण का पालन: इस दिन विशेष रूप से शांति, सद्गुण, और सच्चाई का पालन करने का प्रयास करें, ताकि आपका जीवन में शुभ और समृद्धि हो।